दमा
दमा अर्थात अस्थमा का इलाज हमारे यहाँ विशेष रूप से किया जाता हैं | अगर आपको अस्थमा का पूर्ण निदान करना है तो आप हमारे यहाँ आ कर “अस्थमा एलर्जी प्रोफ़ाइल” एवं एलर्जी टेस्टिंग की मांग करें |
यहाँ पर आपका सभी प्रकार की जाँचे जैसे खून के अंदर एलर्जी की मात्रा, स्पायरों मेटरी, एक्सरे, खून की जाँच एवं एलर्जी टेस्ट किया जाता हैं एलर्जी टेस्ट चमड़ी पर अथवा खून में करने की सुविधा भी उपलब्ध है जिसे आप स्वयं भी चुन सकते है |
हमारे यहाँ केवल दमें कि जाँच ही नहीं करते बल्कि यह जानने की कोशिश करते हैं कि क्या आपको साइनस, नाक कि एलर्जी, आँखों कि एलर्जी, चर्म रोग, ददोड़े आदि भी है, यदि है तो वह कितनी तीव्रता से हम पर असर डाल रहे है |
इस प्रकार मरीज को यह पता चल जाता है कि उसे खाने में क्या परहेज करना है व हवा के किन कणों से उसे एलर्जी हो रही हैं |
इन हवा के कणों का एलर्जी का टीका बनाया जाता हैं जिसका प्रयोग करने से एलर्जी कि तकलीफ 80 प्रतिशत तक कम हो जाती है एवं कुछ मरीज को शत प्रतिशत फायदा मिल जाता है |
इस इलाज को Immunotherapy कहते है | इसके अतिरिक्त एंटी IgE इंजेक्शन लगाने कि सुविधा भी उपलब्ध है |
|
|
अस्थमा एक गंभीर प्रकार कि बीमारी है | जिसमे साँस की नलियाँ सूज कर सुकड़ जाती हैं जिसे हवा का प्रवाह फेफड़ो के अंतिम छोड़ तक नहीं हो जाता हैं |
जिस कारण दम भरना, साँस चलना, साँस में सिटी बजना, छाती में भारीपन एवं ख़ासी एवं आदि लक्षण प्रकट होते हैं |
दमा लगभग 7 से 8 प्रतिशत वयस्क एवं 10 से 12 प्रतिशत बच्चों में पाया जाता हैं दमों का मुख्य कारण फेफड़ो की नलिका सूज जाना है जिसका मुख्य कारण एलर्जी के कण (Triggers) का साँस नलियों में आकर सूजन पैदा करना हैं |
एलर्जी करने वाले कण अर्थात Triggers : |
जानवरों के बाल – खाल
किट – पतंगो के शरीर से निकले पदार्थ ( कसारी, मच्छर, मख्खी, टिटड़े, तितली आदि)
धूल का कीड़ा
फफूंद के बीज
पराग कण
खाद्य पदार्थ
दवाइयाँ
रसायन
मौसम का बदलाव
कसरत
मेंटल टेंशन (मानसिक तनाव)
परफ्यूम, अगरबत्ती, धूपबत्ती आदि का धुआँ, गाड़ियों का धुआँ
|
Many people with asthma have a personal or family history of allergies, such as hay fever (allergic rhinitis), asthma or eczema.
लक्षण -
कई व्यक्तियों को अस्थमा के अटैक साल में एक या दो आते हैं तथा कुछ व्यक्तियों को दिन प्रतिदिन भी आ सकते हैं
अस्थमा का गंभीर अटैक आने पर साँस न ले पाने के कारण मौत भी हो सकती है |
लक्षण – साँस चलना, ख़ासी बलगम, साँस में सिटी, छाती में जकड़ाहट
ऐसा अस्थमा का गंभीर अटैक जिसमें अस्पताल में भर्ती करने की आवश्यकता पड़ती है इसके निम्न लक्षण हैं |
• होठ नीले पड़ना
• उँगलियों का नीला पड़ना
• सुस्ती आना
• पसीना आना
• साँस का बहुत तेज चलना
• नाड़ी का 110 प्रति मिनट से ज्यादा होना
• SPO2 92 प्रतिशत से कम होना
• साँस के कारण मरीज का थकना
उपयुक्त कोई भी लक्षण होने पर आज दमा के गंभीर अटैक को पहचान सकते है ऐसी स्थिति में मरीज को बिना रुके सबसे नजदीकी अस्पताल ले जाए |
|
परीक्षण में शामिल हो सकते हैं:
पीक फ्लो
लंग फंक्शन टेस्ट
छाती का एक्सरे
खून की जाँचे
ए बी जी (Arterial blood gas)
एलर्जी टेस्ट दो प्रकार से होता है
• SPT (स्क्रीन प्रीक टेस्ट)
• Blood Allergy Test (खून द्वारा जाँच)
एलर्जी टेस्ट करने से एलर्जी के कारकों का पता चलता है
इलाज का उद्देश्य यह है की फेफड़ों की शक्ति को इलाज द्वारा सामान्य रखा जाए |
1. सालभर में गंभीर अस्थमा अटैक ना हो |
2. दैनिक दिनचर्या पर कोई प्रभाव न हो |
3. दमा के कारण कोई आफिस या स्कूल से छुट्टी न लेना पड़े |
इलाज – अस्थमा का सबसे अच्छा इलाज इन्हेलर द्वारा अस्थमा को नियंत्रित करना है
एंटी एलर्जिक गोलियां, लिय्वुकोट्राईन इन्हीपीटर
ANTI IgE.
ध्यान रहें इन्हेलर लेने से दावा के कोई भी दूष प्रभाव नहीं होते इन्हेलर की आदत नहीं पड़ती है इन्हेलर का कोई साईड एफेक्ट नहीं होते हैं |
एलर्जी के वेक्सीन का इलाज - एलर्जी के वेक्सीन पिछले सौ वर्ष से अधिक से प्रयोग किए जा रहे है एलर्जी टेस्ट में जिन हवा के कणों की एलर्जी निकलती है उन्हीं कणों का टीका बनाया जाता हैं |
उसी टीके को इंजेक्शन के रूप में या जीब के नीचे बूंद के रूप में डाला जाता है इससे एलर्जी कट जाती है एवं बीमारी की तीव्रता और दवाइयों का प्रयोग काफी हद तक कम किया जा सकता है |
दमे से बचाव - एलर्जी टेस्ट में जिन कणों से एलर्जी है उन कणों के हिसाब से बचाव किया जाता है जो हमारे चेस्ट सेंटर पर डॉ. जाफ़री द्वारा आपकों बताया जाता है |
• घर में से कारपेट, दरी, गलीचे हटा दें
• धरती पर झाड़ू ना लगाते हुए पोछा लगाया जाए
• घर के अंदर व दीवारों पर नमी न होने दे
• पालतु जानवरों को न पाले जैसे- कुत्ता, बिल्ली, भैस आदि
• पालतु जानवरों को न पाले जैसे- कुत्ता, बिल्ली, भैस आदि
• घर को कसारी व चुंहा मुक्त करें
• घर में धूम्रपान का प्रयोग ना करें
• प्रदूषण से बचे
• पलंग की चादर व तकिये खोल को प्रतिदिन बदलें व कंबल का प्रयोग ना करें |
|
|
|